Maratha Reservation Protest Mumbai: मराठा आरक्षण की आग मुंबई की सड़कों पर धधक रही है। आजाद मैदान में पिछले तीन दिनों से जारी आंदोलन आज (1 सितंबर) एक नए और बेहद गंभीर मोड़ पर आ गया है। आंदोलन के अगुवा मनोज जरांगे ने अपने अनशन को और भी सख्त करते हुए आज से पानी भी त्यागने का ऐलान कर दिया है।
उनके इस ‘अल्टीमेटम’ ने महाराष्ट्र सरकार की धड़कनें बढ़ा दी हैं, वहीं दूसरी ओर मुंबई की रफ्तार पर भी ब्रेक लगता दिख रहा है।
सोमवार सुबह से ही दक्षिण मुंबई की ओर जाने वाले रास्तों पर भारी ट्रैफिक जाम की आशंका के चलते मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने अलर्ट जारी कर दिया है। लोगों से अपील की गई है कि वे घर से निकलने से पहले ट्रैफिक अपडेट जरूर देख लें और हो सके तो वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करें।
‘अब पानी भी नहीं…या तो आरक्षण, या मरूंगा!’
आजाद मैदान में हजारों समर्थकों के बीच बैठे मनोज जरांगे ने रविवार को अपने इरादे साफ कर दिए। उन्होंने दो टूक कहा, “सरकार हमारी मांगों को लेकर टालमटोल कर रही है। अब बहुत हुआ। आज से मैं पानी की एक बूंद भी नहीं पिऊंगा। यह लड़ाई अब आखिरी दम तक चलेगी।”
जरांगे के इस ऐलान के बाद माहौल में तनाव और भी बढ़ गया है। उनका कहना है कि यह संवैधानिक हक की लड़ाई है और वे किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे।
आखिर क्या है जरांगे पाटिल की मांग?
मनोज जरांगे की मांग बहुत सीधी और स्पष्ट है। वह चाहते हैं कि मराठा समुदाय को OBC कैटेगरी में शामिल कर 10 फीसदी आरक्षण दिया जाए। उनका दावा है कि सरकार के अपने रिकॉर्ड में 58 लाख मराठाओं के कुनबी (OBC में शामिल एक जाति) होने के सबूत मौजूद हैं। “जब सबूत हैं, तो फिर देरी क्यों?” यही सवाल जरांगे और उनके समर्थक सरकार से पूछ रहे हैं।
सरकार में मंथन, नेताओं में मतभेद
इस आंदोलन ने महाराष्ट्र की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है। एक ओर सरकार समाधान खोजने का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी नेताओं के सुर अलग-अलग सुनाई दे रहे हैं।
- BJP का EWS वाला सुझाव: दिलचस्प बात यह है कि खुद मराठा समुदाय से आने वाले वरिष्ठ BJP नेता और मंत्री चंद्रकांत पाटिल और नितेश राणे ने एक अलग ही राग छेड़ा है। उनका कहना है कि मराठा समुदाय को OBC में शामिल होने की जिद करने के बजाय मौजूदा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे का लाभ उठाना चाहिए।
- आरोप-प्रत्यारोप का दौर: नितेश राणे ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए यह भी आरोप लगा दिया कि इस आंदोलन को NCP (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार फंड कर रहे हैं, जिससे सियासत और गरमा गई है।
- सरकार की दुविधा: रविवार को रिटायर्ड जज संदीप शिंदे की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। आंदोलनकारी अब सिर्फ बातचीत या आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस सरकारी आदेश (GR) चाहते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर सकारात्मक है, लेकिन कोई भी फैसला कानूनी दायरे में ही लिया जाएगा।
अब आगे क्या? मुंबई की सड़कों पर किसका ‘राज’?
मनोज जरांगे के ‘जल त्याग’ के ऐलान के बाद यह आंदोलन एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। सरकार पर दबाव चरम पर है। क्या सरकार झुकेगी? क्या कोई बीच का रास्ता निकलेगा? या फिर यह गतिरोध यूं ही जारी रहेगा?
इन सवालों के जवाब भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन एक बात तय है – आज का दिन मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बेहद अहम होने वाला है। आजाद मैदान से उठ रही यह चिंगारी क्या गुल खिलाएगी, इस पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।
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