Manoj Jarange Patil Maratha Protest: मराठा आरक्षण की आग मुंबई में धधक रही है और आंदोलन का चेहरा बन चुके मनोज जरांगे पाटिल के अनशन का आज चौथा दिन है। लेकिन आज से ये लड़ाई और भी गंभीर हो गई है, क्योंकि जरांगे ने अब ‘निर्जल’ यानी बिना पानी के अनशन शुरू कर दिया है।
उनकी बिगड़ती तबीयत की चिंता और आंदोलन के बढ़ते दबाव के बीच महाराष्ट्र की सियासत में हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ‘वर्षा’ निवास पर एक अर्जेंट बैठक बुलाई है, जिसमें सरकार के तमाम बड़े दिग्गज शामिल हुए हैं। क्या यह बैठक आंदोलन का हल निकालेगी या फिर यह लड़ाई अभी और लंबी चलेगी?
‘वर्षा’ पर दिग्गजों का जमावड़ा, क्या निकलेगा समाधान?
सरकार की टेंशन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ‘वर्षा’ पर हुई इस हाई-वोल्टेज मीटिंग में दोनों उपमुख्यमंत्री, एकनाथ शिंदे और अजित पवार, के अलावा मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटील भी मौजूद रहे।
इस बैठक की सबसे खास बात यह रही कि इसमें शिंदे समिति के अध्यक्ष, रिटायर्ड जस्टिस संदीप शिंदे को भी बुलाया गया। सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मुख्य एजेंडा हैदराबाद और सातारा गजट को कानूनी रूप से लागू करने की संभावनाओं पर था। इन्हीं गजटों के आधार पर जरांगे मराठों को कुनबी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।
खबर है कि इस मैराथन बैठक के बाद सरकार एक ठोस प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार कर रही है, जिसे शिंदे समिति खुद मनोज जरांगे पाटिल के पास लेकर जाएगी। अब सभी की निगाहें इसी पर टिकी हैं कि क्या सरकार का यह प्रस्ताव जरांगे को मंजूर होगा?
GR का ड्राफ्ट तैयार, कानूनी पेंच पर फंसी सरकार?
अंदरखाने की खबर यह है कि राज्य सरकार मराठा आरक्षण पर एक सरकारी संकल्प (GR) का ड्राफ्ट तैयार करने में जुट गई है। इस ड्राफ्ट को महाराष्ट्र के महाधिवक्ता (Advocate General) के पास कानूनी समीक्षा के लिए भेजा जाएगा।
सरकार इस बार कोई भी कदम उठाने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आरक्षण का यह फॉर्मूला कोर्ट में टिक सके। सरकार की यह तैयारी दिखाती है कि वह जरांगे की मांग को लेकर गंभीर है, लेकिन कानूनी बाधाओं से भी डरी हुई है।
आजाद मैदान में आंदोलन लंबा चलेगा? तैयारी तो यही कहती है!
उधर, दक्षिण मुंबई का आजाद मैदान एक छावनी में तब्दील हो चुका है। आज चौथे दिन आंदोलन और भी बड़ा होता दिख रहा है। जरांगे के मंच के सामने एक और बड़ा स्टेज तैयार किया जा रहा है, ताकि बारिश और कीचड़ से कार्यकर्ताओं को बचाया जा सके। यह तैयारी इस बात का साफ़ संकेत है कि मराठा समन्वयक समिति इस बार लंबी लड़ाई के मूड में है।
कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा न पड़े, इसके लिए खाने-पीने का भी जबरदस्त इंतजाम है। मराठवाड़ा की पहचान “भाकरी-ठेचा” के हजारों पैकेट आजाद मैदान पहुंच चुके हैं। कहते हैं, यह खाना 4-5 दिन तक खराब नहीं होता। बाजरे और ज्वार की भाकरी के साथ तीखी मिर्च और नारियल से बना ठेचा कार्यकर्ताओं को ऊर्जा दे रहा है। खबर है कि मराठवाड़ा से 10,000 और कार्यकर्ता मुंबई कूच कर चुके हैं।
बढ़ती भीड़ को देखते हुए बीएमसी प्रशासन भी हरकत में आ गया है। मैदान में शौचालय, पानी और शेड की व्यवस्था की गई है। जहां कीचड़ था, वहां पत्थर की गिट्टी डालकर जमीन को समतल किया जा रहा है, क्योंकि रुक-रुक कर हो रही बारिश भी आंदोलनकारियों का हौसला नहीं तोड़ पाई है।
अब सवाल यह है कि एक तरफ जरांगे का निर्जल अनशन और दूसरी तरफ सरकार की बंद कमरे में बैठक, इस महासंग्राम का अंत क्या होगा? क्या सरकार का प्रस्ताव मराठा समाज के गुस्से को शांत कर पाएगा? या फिर मुंबई की सड़कों पर यह लड़ाई अभी और तेज होगी? जवाब का इंतजार पूरे महाराष्ट्र को है।
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