Maratha Reservation GR Deadline : मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में पिछले कई दिनों से चल रहा मराठा आरक्षण आंदोलन का ड्रामा मंगलवार को अपने चरम पर पहुंच गया। हजारों समर्थकों की भीड़ के बीच, आंदोलन के चेहरे बन चुके मनोज जरांगे पाटिल ने मंच से हुंकार भरी- “हम जीत गए हैं!” उनके इस ऐलान के साथ ही मैदान में जश्न का माहौल बन गया।
लेकिन रुकिए, पिक्चर अभी बाकी है! जरांगे ने इस जीत को एक शर्त से बांध दिया है। उन्होंने शिंदे-फडणवीस सरकार को रात 9 बजे तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर सरकार उनकी मांगों पर सरकारी प्रस्ताव (GR) जारी कर देती है, तो वे आंदोलन खत्म करके मुंबई से चले जाएंगे। अब सबकी निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या सरकार झुकेगी?
आखिर सरकार ने मानी कौन-कौन सी बातें?
दिनभर की गहमागहमी के बाद, महाराष्ट्र सरकार के तीन बड़े मंत्री- राधाकृष्ण विखे पाटिल, माणिकराव कोकाटे और शिवेंद्र राजे भोसले- खुद आजाद मैदान पहुंचे और मनोज जरांगे से बातचीत की। जरांगे के मुताबिक, सरकार ने उनकी कई बड़ी मांगों पर हामी भर दी है।
कुणबी सर्टिफिकेट का वादा: सरकार ने मराठवाड़ा के मराठों को कुणबी के तौर पर मान्यता देने की प्रक्रिया तेज करने का वादा किया है, जिससे उन्हें OBC कोटे का लाभ मिल सकेगा।
पुराने रिकॉर्ड्स को मान्यता: हैदराबाद और सातारा गजट के अलावा, अब आंध और बॉम्बे गजट में दर्ज मराठों को भी कुणबी माना जाएगा।
मुआवजा और केस वापसी: सरकार आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को एक हफ्ते के भीतर मुआवजा देगी और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज हुए आपराधिक मामले भी वापस लिए जाएंगे।
High Court का क्या है रुख?
इस पूरे मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट की भी पैनी नजर है। कोर्ट ने जरांगे को 3 सितंबर तक आजाद मैदान में आंदोलन जारी रखने की इजाजत तो दे दी है, लेकिन साथ में कड़ी चेतावनी भी दी है। एक्टिंग चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की बेंच ने साफ कहा कि “कानून की majest (महिमा) बनी रहनी चाहिए” और अगर कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हुआ तो सख्त कार्रवाई होगी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 सितंबर को दोपहर 1 बजे होगी।
आजाद मैदान में Tension! क्या चल रहा है?
एक तरफ जहां सरकार से बातचीत चल रही है, वहीं दूसरी तरफ आजाद मैदान में माहौल काफी तनावपूर्ण है। मुंबई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मैदान खाली करने के लिए नोटिस जारी किए हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) पर जमे प्रदर्शनकारियों को भी हटाया जा रहा है।
हालांकि, इन सबसे बेपरवाह मनोज जरांगे ने ऐलान कर दिया था कि “जान दे दूंगा, पर मैदान नहीं छोडूंगा”। उन्होंने कुछ समय के लिए पानी पीना भी छोड़ दिया था, जिससे उनकी सेहत को लेकर चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, शाम को अपने समर्थकों को संबोधित करने के बाद उन्होंने पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा।
अब आगे क्या होगा? The Next Move!
अब पूरा खेल सरकार के पाले में है। अगर रात 9 बजे तक सरकार GR जारी कर देती है, तो मनोज जरांगे और उनके समर्थक जश्न मनाते हुए अपने घरों को लौट जाएंगे। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो मुंबई में मराठा आंदोलन का यह तूफान और तेज हो सकता है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उनकी सरकार कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी और आरक्षण की मांग को पूरा करने के लिए कानूनी रास्ते तलाशेगी। फिलहाल, 3 सितंबर को होने वाली हाई कोर्ट की सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं, जो इस आंदोलन की आगे की दिशा तय करेगी।
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