महाराष्ट्र में प्राइवेट कर्मचारियों का बढ़ा वर्कलोड! अब 9 की जगह करना होगा 10 घंटे काम – जानें पूरी डिटेल

Maharashtra Work Hours Law 2025: अगर आप महाराष्ट्र में प्राइवेट जॉब करते हैं तो आपके लिए ये खबर बहुत जरूरी है। देवेंद्र फडणवीस सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए वर्किंग ऑवर्स को 9 से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया है। जी हां, अब दफ्तर में आपको रोज़ एक घंटा ज्यादा रुकना पड़ेगा।

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ये बदलाव बुधवार को कैबिनेट बैठक में मंजूर किया गया। सरकार का कहना है कि इससे निवेश (Investment) बढ़ेगा, नए रोजगार (Jobs) बनेंगे और कर्मचारियों के अधिकार (Workers’ Rights) भी सुरक्षित रहेंगे।

नया नियम – क्या-क्या बदल गया?

  • पहले डेली ड्यूटी: 9 घंटे → अब 10 घंटे।
  • फैक्ट्रियों में मैक्सिमम ड्यूटी: 12 घंटे तक।
  • Lunch/Break अब 5 घंटे की जगह 6 घंटे बाद।
  • ओवरटाइम (Overtime) लिमिट: 115 घंटे → अब 144 घंटे प्रति तिमाही।
  • ओवरटाइम पे: दोगुना, लेकिन केवल लिखित सहमति के साथ।
  • 20 से ज्यादा कर्मचारियों वाले ऑफिस/प्रतिष्ठान पर लागू होगा।
  • 20 से कम कर्मचारियों वाले छोटे ऑफिस को अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं।

महाराष्ट्र क्यों कर रहा है ये बदलाव?

सरकार का तर्क है कि ये कदम Ease of Doing Business को और आसान बनाएगा। बड़े उद्योग महाराष्ट्र में ज्यादा निवेश करेंगे, जिससे रोज़गार के नए मौके बनेंगे। साथ ही, सरकार का दावा है कि कर्मचारियों की Salary Protection और Rights भी मजबूत होंगे।

किन-किन राज्यों में पहले से लागू?

महाराष्ट्र अब उन राज्यों में शामिल हो गया है, जहां पहले ही वर्किंग ऑवर्स बढ़ाए जा चुके हैं। इनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं।

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कर्मचारियों की राय क्या है?

सरकार तो इसे प्रोग्रेसिव स्टेप बता रही है, लेकिन कई वर्कर्स और यूनियंस कह रहे हैं कि ज्यादा वर्किंग ऑवर्स से Work-Life Balance बिगड़ जाएगा। उनका सवाल है – “क्या निवेश बढ़ाने की कीमत हमें Extra काम से चुकानी पड़ेगी?”

महाराष्ट्र के इस फैसले से अब लाखों प्राइवेट जॉब करने वाले लोगों की डेली रूटीन बदलने वाली है। जहां सरकार इसे आर्थिक सुधार बता रही है, वहीं कर्मचारियों को चिंता है कि ये बदलाव उनके लिए बोझ न बन जाए। आने वाले दिनों में इसका असली असर साफ हो जाएगा।

तो बताइए, क्या आप तैयार हैं 9 से 10 घंटे ऑफिस Culture के लिए? या आपको लगता है कि ये फैसला कर्मचारियों पर Extra प्रेशर डालेगा?

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