Anant Chaturdashi Vrat Katha 2025: कौंडिन्य ऋषि और अनंत सूत्र की कथा, जानें क्यों है व्रत पूजा में अनिवार्य

Anant Chaturdashi Vrat Katha 2025: इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 6 सितंबर 2025, शनिवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है और श्रद्धालु हाथ में अनंत सूत्र (चौदह गांठों वाला धागा) बांधकर सुख-समृद्धि और जीवन में रक्षा का आशीर्वाद मांगते हैं।

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धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत का पूजन बिना अनंत चतुर्दशी व्रत कथा सुने अधूरा माना जाता है।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा (Anant Chaturdashi Vrat Katha 2025)

प्राचीन समय में एक ब्राह्मण सुमंत रहते थे। उनकी पत्नी दीक्षा की मृत्यु के बाद उन्होंने कर्कशा नामक स्त्री से दूसरा विवाह कर लिया। उनकी पुत्री सुशीला का विवाह ऋषि कौंडिन्य के साथ हुआ। विवाह के बाद सुशीला अपने पति के साथ आश्रम की ओर जा रही थी। रास्ते में उसने कुछ स्त्रियों को भगवान अनंत की पूजा करते देखा।

सुशीला ने उनसे जानकारी प्राप्त कर उसी समय अनंत व्रत का अनुष्ठान किया और चौदह गांठों वाला पवित्र सूत्र अपने हाथ पर बांध लिया। जब वह अपने पति कौंडिन्य ऋषि के पास लौटी और उन्हें यह बताया तो वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने इसे अंधविश्वास कहकर सुशीला के हाथ से वह अनंत सूत्र उतारकर अग्नि में जला दिया।

भगवान अनंत के अपमान से कौंडिन्य ऋषि का जीवन दुःखों से भर गया। उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वे दरिद्रता के शिकार हो गए। पत्नी सुशीला ने उन्हें समझाया कि यह सब अनंत सूत्र का अपमान करने के कारण हुआ है।

पश्चाताप करते हुए कौंडिन्य ऋषि वन-वन भटकने लगे और अंत में थककर भूमि पर गिर पड़े। तभी भगवान विष्णु अनंत रूप में प्रकट हुए और बोले—

“हे कौंडिन्य! तुमने मेरा अपमान किया था इसलिए दुख झेले। पर अब तुम पश्चाताप कर चुके हो। यदि चौदह वर्षों तक श्रद्धापूर्वक अनंत व्रत करोगे तो समस्त दुख समाप्त हो जाएंगे और तुम समृद्ध हो जाओगे।”

कौंडिन्य ऋषि ने भगवान के आदेश का पालन किया और चौदह वर्षों तक व्रत किया। फलस्वरूप उनका जीवन फिर से सुख और समृद्धि से भर गया। तभी से अनंत चतुर्दशी व्रत की परंपरा शुरू हुई।

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व्रत कथा का महत्व
  • यह कथा व्रत के मूल स्वरूप और उसकी शक्ति को दर्शाती है।
  • अनंत सूत्र भगवान विष्णु के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
  • श्रद्धापूर्वक कथा सुनकर व्रत करने से व्यक्ति के दुख और संकट दूर होते हैं।
  • व्रत से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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