Haryana Crop Damage Compensation 2025: हरियाणा इस बार मानसून की मार से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में रहा। तेज बारिश और जलभराव ने खेतों को दलदल में बदल दिया। कई जगहों पर खरीफ की फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं, तो कहीं किसान आंशिक नुकसान झेलते दिखे। सवाल उठता है – जब किसान की मेहनत पर पानी फिर जाए, तो उसकी उम्मीदें कौन सींचेगा?
सरकार का बड़ा कदम: अब 10 सितंबर तक मिलेगा मौका (e-Kshatipurti Portal Last Date)
इसी दर्द को समझते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार ने किसानों के लिए राहत योजना को और आसान बनाया है। ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन की समयसीमा बढ़ा दी गई है। पहले यह 31 अगस्त तक खुला था, लेकिन अब किसान 10 सितंबर तक अपना दावा दर्ज करा सकते हैं।
किन जिलों के किसान कर सकते हैं आवेदन?
सरकार ने साफ किया है कि कुल 12 जिलों के किसान इस योजना का लाभ ले सकेंगे। इनमें शामिल हैं:
- यमुनानगर – 600 गांव
- झज्जर – 264 गांव
- नूंह – 166 गांव
- हिसार – 86 गांव
- कुरुक्षेत्र – 75 गांव
- पलवल – 59 गांव
- भिवानी – 43 गांव
- रोहतक – 41 गांव
- चरखी दादरी – 34 गांव
- फतेहाबाद – 21 गांव
- रेवाड़ी – 7 गांव
- सिरसा – 6 गांव
कुल मिलाकर 1402 गांव इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए हैं।
कैसे करें e-Kshatipurti Portal से आवेदन?
किसान सीधे ekshatipurti.haryana.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद फसल नुकसान से जुड़ी जानकारी अपलोड करनी होगी। इसके बाद संबंधित विभाग के अधिकारी सत्यापन करेंगे और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू होगी।
किसानों तक पहुंच रही है राहत
सीएम कार्यालय के मुताबिक अब तक 78.50 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राहत राशि किसानों के खाते में पहुंच चुकी है। दिसंबर 2024 में शुरू हुआ यह पोर्टल मुआवजे की प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बना रहा है।
किसानों की पुरानी मुश्किलें और नई उम्मीदें
पहले किसानों को मुआवजा पाने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था। कई बार भुगतान में देरी होती, तो कभी गलत हाथों में पैसा चला जाता। लेकिन अब पोर्टल की वजह से किसान सीधे सरकार तक अपनी बात पहुंचा पा रहे हैं।
सीएम सैनी का कहना है कि विधानसभा चुनावों में विपक्ष ने इस पोर्टल को लेकर अफवाहें फैलाई थीं, लेकिन जनता ने इसे हाथों-हाथ लिया और अपनाया।
किसान के दिल से – राहत का एक पैगाम
एक किसान की कल्पना कीजिए, जिसने अपने खेत में पूरे साल मेहनत की। लेकिन भारी बारिश ने उसकी मेहनत पर पानी फेर दिया। ऐसे वक्त में अगर सरकार उसके खाते में समय पर मुआवजा डाल दे, तो उसके चेहरे पर मुस्कान लौटना लाज़मी है। यही मुस्कान इस योजना का असली मकसद है।
अब सवाल यह है – क्या 10 सितंबर तक हर किसान अपनी आवाज़ सरकार तक पहुंचा पाएगा? क्या यह कदम वाकई खेती-किसानी को बचाने में कारगर साबित होगा?
अगर आप भी हरियाणा के किसान हैं और आपकी फसल को नुकसान हुआ है, तो देर न करें। आजही ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन कर अपनी मेहनत का हक़ पाएं।

योगेश कोल्हे एक अनुभवी लेखक हैं जो देश के महत्वपूर्ण समाचारों, व्यापार, वित्त और सरकारी योजनाओं जैसे विषयों पर गहरी विशेषज्ञता रखते हैं। उनके लेख पाठकों को जटिल विषयों को सरल और स्पष्ट भाषा में समझने में मदद करते हैं।